
सपनों( dream ) की दुनिया अजीब होती है। हम रात को सोते समय तरह-तरह के सपनों को देखते रहते हैं । कई बार तो हम ऐसे सपने देखते हैं जिसे देखने के बाद सोच में पड़ जाते हैं। हमारे सपने जैसे भी हो पर हम अपने सपनों( dream ) का दृश्य तय नहीं कर सकते। सपने कौन तय करता है ? क्यों आते हैं? किस कारण आते हैं ? इस पर लंबी बहस हो सकती है। क्योंकि इस विषय पर मतभेद भी बहुत सारे हैं। इस विषय पर ज्योतिष का कुछ मानना है तो अध्यात्म का कुछ। वही सपनों को लेकर मनोचिकित्सकों का भी अलग राय है। परंतु ज्योतिष के मुताबिक हम जो भी सपने देखते हैं उनका कुछ ना कुछ हमसे संबंध जरूर होता है । हमारे सपने हमारे वर्तमान वह हमारे भविष्य की ओर इशारा करते हैं। ज्योतिष का मानना है कि सपने आने के खास उद्देश्य होते हैं। यह हमें वह संकेत देते हैं जो हमारे निकट भविष्य में घटित होने वाला होता है।
हालांकि बहुत से लोग स्वप्न ( dream )को स्वीकार तो करते हैं पर यह नहीं मानते कि स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं की सूचना देते हैं। उनका बस यही मानना होता है कि हम रोजाना अपने दिनचर्या में जो भी करते हैं उनसे कुछ दृश्य स्वप्न में आ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि हम किसी चीज को लेकर बहुत अधिक गंभीर हो जाते हैं तथा उसके बारे में सोचते हैं। अतः हमारी यही गंभीरता वह हमारी सोच स्वप्न का रूप ले लेता है । पर यह बात भी कुछ हजम नहीं होता है। क्योंकि हम सपने ऐसे ऐसे भी देख लेते हैं जिनका हमारे दिनचर्या से कोई लेना देना ही नहीं होता । फिर कैसे मान लिया जाए कि सपने हमारे दिनचर्या से ही जुड़े होते हैं तथा इसका ज्योतिषी महत्व नहीं होता । अतः यह बात सुनकर थोड़ी अपच सी होने लगती है ।
अगर बात स्वप्न ( dream ) ज्योतिष की की जाए तो वैज्ञानिक रूप से सच के साथ तो पुष्टि करना थोड़ा कठिन अवश्य है। पर अगर मन की आंखों से देखा जाए तो इसमें सच्चाई थोड़ी अधिक दिखती है। मैंने स्वयं कई बार घर के सदस्यों के जुबान से यह सुनते देखा है कि आज मैंने यह शुभ स्वप्न देखा जरूर कोई शुभ घटना घटने वाली है, या फिर आज मैंने फला अशुभ सपने देखा, लगता है कुछ अशुभ होगा । सच मानिए ऐसा सुनने के बाद घटनाओं को घटते भी हमने देखा है। कई मर्तबा तो हमने स्वयं पर ही इसको परखा है और हमने बहुत हद तक इसमें सच्चाई देखी है । हां यह बात अलग है कि आप मुझे गलत मान कर मुझे नकार सकते हैं। पर यह केवल मेरा मत नहीं है बल्कि यह तो सदियों से चली आ रही हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जिसे ऋषि मुनि छोड़ कर चले गए। अतः इसमें बहुत कुछ सच्चाई हैं जिसके कारण आज तक स्वप्न को लेकर भारतीय संस्कृति का मत अब तक जीवित है और आज भी स्वप्न ज्योतिष को बहुत से लोग सहज स्वीकार करते हैं , अन्यथा झूठ इतनी सदियों तक कहां जिंदा रहती है।
ऐसे में जो लोग स्वप्न ज्योतिष अथवा स्वप्न( dream ) शास्त्र को नकारते हैं हम तो यही कहेंगे कि ऐसे लोगों को पुनः आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। रही बात मनोवैज्ञानिकों की तो हम इनकी बातों को पूर्णता नकार नहीं सकते, क्योंकि इनका अपना तर्क है और यह सच भी है कि जब हम किसी चीज को लेकर बहुत अधिक सोच विचार कर लेते हैं अथवा जो मनोकामनाएं हमारे रियल लाइफ में पूर्ण नहीं होती वह शायद स्वप्न में आ जाती हैं। पर उन सपनों का क्या जिनका ताल्लुक हमारे जीवन से होता ही नहीं है। मुझे लगता है कि अभी इस पर बहुत सोच विचार बाकी है जो होना चाहिए । सपनों( dream ) से जुड़े विद्वान ही इस पर कुछ प्रभावी वह मजबूत दलील दे सकते हैं ऐसा मेरा मानना है।