
आजकल भाजपा पर यह आरोप है कि वह राष्ट्रवाद का छलावा करती है। कांग्रेसियों, वामदलों और छोटे-छोटे सभी क्षेत्रीय पार्टियों का आरोप है कि वह पूरे देश को राष्ट्रवाद का सर्टिफिकेट दे रही है। आखिर भाजपा वाले होते कौन हैं किसी को देशभक्ति या देशद्रोही का सर्टिफिकेट देने वाले ?
हालांकि BJP के सर्टिफिकेट देने से कोई खास फर्क तो नहीं पड़ता अन्य पार्टियों को किंतु उन्हें जनता के सर्टिफिकेट पर भी ध्यान देना चाहिए। चुनावी परीक्षाओं में जनता ने जिस तरह से स्वयं को सेकुलर कहने वाले पार्टियों को नकारा है उससे तो यह साबित होता है कि जनता आपके कार्य से खुश नहीं है।
आप जनता के पास जब भी जाते हैं तो अपनी धर्मनिरपेक्षता साथ लेकर जाते हैं। यदि जनता ने आपके धर्मनिरपेक्षता को चुनाव में नकार दिया तो आप स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कैसे घोषित कर सकते हैं।
मैं यह नहीं कहता कि आप धर्मनिरपेक्ष नहीं है। होंगे आप धर्मनिरपेक्ष। किंतु जनता द्वारा नकारे जाने के बाद तो आपको यह सहज स्वीकार कर ही लेना चाहिए कि आपकी धर्मनिरपेक्षता में कहीं ना कहीं कोई लेकिन जरूर है। जिसे दूर करके ही आगे बड़ा जाना चाहिए।
आपको यदि आपकी कमियां दिखती है तो उसे नजरअंदाज ना करें। उसे दूर करें और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़े।
दूसरी ओर जब भी भाजपा चुनावी परीक्षा में शामिल होकर जनता के पास जाती है तो स्वयं को राष्ट्रवादी पार्टी बता कर वोट मांगती है और यहां तक कि अन्य पार्टियों को देशद्रोही कहने या साबित करने में भी नहीं हिचकिचाती। जाहिर है बीजेपी वाले जब किसी को देशद्रोही कहते हैं तो कुछ तो तथ्य रखते हैं जनता के सामने। जनता उनके तथ्यों को स्वीकारती है और उन्हें वोट देकर जीता देती है। तो क्या अन्य पार्टियों को यह विचार नहीं करना चाहिए कि bjp वाले नेता कैसे जनता से यह स्वीकार करवा लेते हैं कि खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियां देशद्रोही है।
दरअसल बात यह है कि कांग्रेस या कांग्रेसी विचारधारा वाली पार्टियां हरकत ही कुछ ऐसी करती है जिससे वह एंटी नेशनल नजर आने लगती है। जब जेएनयू जैसे बड़े शिक्षण संस्थान में राष्ट्र विरोधी नारे लगेंगे और आप उनके साथ खड़े होंगे तो कोई कैसे ना कहे आपको देशद्रोही ?
जब सेना पर पत्थर चलती है तो आप मौन होते हैं जब सेना पैलेट गन चलाती है तो आप राजनीतिक फायदे के लिए भारतीय सेना को ही निशाने पर ले लेते हैं। फिर क्यों ना कहें आपको देशद्रोही ? मैं तो कहता हूं कि आपको देश का बच्चा-बच्चा देशद्रोही कहेगा ?अगर आप देशद्रोही एक्टिविटी का समर्थन करेंगे तो अब चाहे राजनीतिक फायदे के लिए ही क्यों नहीं की गई हो।
अब बात करें BJP की तो भाजपा ने भारतीय राजनीति में बहुत ही बुद्धिमानी का परिचय दिया है। वैसे तो समीकरण बदलते रहते हैं परंतु बदलते समीकरण का जिस प्रकार बीजेपी ने लाभ उठाया है काबिले तारीफ है। आपने थोड़ा सा रूम दीया BJP ने गोल कर दिया। जिस तरह से विपक्षी पार्टियां बामपंथी विचारधारा की ओर से नरमी दिखाती है BJP उसे भुनाने की पूरी की पूरी कोशिश करती है।

खैर राजनीतिक दांव पेच इसे ही कहते हैं। किंतु ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने कम दावपेच चले हैं। कांग्रेस तो दांवपेच में सबसे ऊपर है। किंतु वक्त उसके साथ नहीं है।
आप चलिए उन क्षणों मैं जब अटल जी की सरकार थी तब किस तरह कांग्रेस ने भाजपा पार्टी को सांप्रदायिक घोषित कर दिया। अटल जी के जाने के बाद कांग्रेस ने 10 सालों तक देश पर राज किया। तब हमने देखा कि कांग्रेस का कोई भी नेता बीजेपी को संप्रदायिकता का सर्टिफिकेट देता फिरता था। कमोबेश BJP की भी यही शिकायत रही थी कि आप होते कौन हैं हमें संप्रदायिकता का सर्टिफिकेट देने वाले ?
हालांकि कांग्रेस आज भी भाजपा को संप्रदायिक ही कहती है पर अब सुनता कोई नहीं है और यह दावपेच स्वयं पर भारी पड़ रहा है। तो धीरे-धीरे समीकरण बदला बीजेपी तो लोकसभा चुनाव हारने के बाद मोदी को लेकर आई जिससे उसे बड़ी जीत प्राप्त हुई। लेकिन उसे इस जीत के बाद भी कांग्रेस को दबाव में रखना था और जवाब भी देना था।
इसी बीच कांग्रेस की अपनी गलतियों के कारण राष्ट्रवाद का मुद्दा निकल कर आया BJP सतर्क थी और इस राष्ट्रवाद के पगड़ी को अपने सर बांध लिया। ऐसे में भाजपा ने राष्ट्रवाद को खूब भुनाया इतना भुनाया की सारी पार्टियों को देशद्रोहियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
ऐसे में जब कांग्रेस यह आरोप लगाती है की BJP कौन होती है किसी को देशद्रोही की सर्टिफिकेट देने वाली और जैसे-जैसे इस छवि से उबरने की कोशिश करती है तभी BJP भ्रष्टाचार को लेकर घेरने लगती है। और कांग्रेस की छवि एंटी हिंदू के रूप में पेश करने लगती है।
ऐसे में नए-नए दावपेच के बीच कांग्रेस और भी घिर जाती है। मुझे तो लगता है कि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर फिलहाल कांग्रेस को अभी और झटके लगते रहेंगे और जब आप यह आरोप लगाते हैं कि bjp कौन होती है कांग्रेस को राष्ट्रविरोधी कहने वाली तब शायद यह भूल जाते हैं कि आप कौन होते हैं किसी को सांप्रदायिक कहने वाले?
तो दरअसल यह राजनीति है। राजनीति में कोई किसी पर आरोप लगा सकता है पर फायदा उसी को होता है जो अपने आरोपों को ज्यादा से ज्यादा सही साबित करता है।
फिलहाल तो यही सच्चाई है कि भाजपा पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर अच्छी बैटिंग कर रही है। आगे अगर आउट ना हुए तो विजय रथ बढ़ता रहेगा। दूसरी ओर कांग्रेस को मंथन करना होगा और अपनी कमियों को दूर करके आगे बढ़ना होगा तभी सफलता मिलेगी।