भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है bharat hamesha hi prem ka mulk raha hai

हमारा भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है । राधा कृष्ण का प्रेम इसका अनुपम उदाहरण है। यहां पर प्रेम का सम्मान हमेशा से ही होता आया है। जिस तरह से कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है उसी तरह से कहा जा सकता है कि भारत में प्रेम ही पूजा है । हीर रांझा का प्रेम भी उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया जा सकता है।
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वैसे प्रेम करने के लिए कोई स्थिति परिस्थिति मायने नहीं रखता। भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है गरीब से गरीब आदमी प्रेम कर सकता है और अमीर से अमीर आदमी भी। यहां तक कि प्रेम गरीब को अमीर से और अमीर को गरीब से भी हो सकता है और यही प्रेम दो सामान लोगों में भी हो सकता है।
भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है bharat hamesha hi prem ka mulk raha hai
प्रेम वह मानसिक स्थिति है जिस स्थिति में पहुंचने के बाद आदमी के पास अतिरिक्त आत्मशक्ति आ जाती है। वह जिससे प्रेम करता है उसके लिए कुछ भी कर सकता है। जी सकता है मर सकता है या किसी और प्रकार की भी परिस्थिति स्वीकार करनी पड़े तो वह कर सकता है।
प्रेम के इसी संवेदना को देखते हुए ही प्रेमियों को कई नामों से जाना जाता है। कोई पागल कहता है कोई दीवाना कहता है। भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है यहां तक कि प्रेम को अंधा भी कहा जाता है और प्रेम को पावन भी कहा जाता है।
दोस्तों वास्तव में प्रेम को अपने-अपने तरह से परिभाषित किया जा सकता है । पर प्रेम की परिभाषा को उस स्थिति तक नहीं पहुंचाया जा सकता जहां से प्रेम की व्याख्या से संतुष्ट हुआ जा सके। सूर, मीर, कबीर सब ने प्रेम को अपने अपने तरीके से कहा परंतु आज भी प्रेम पर कुछ ना कुछ कहा जा रहा है और कहा जाता रहेगा।
प्रेम असीम है अनंत है इसकी जड़ तक पहुंचकर अनुभूति तो किया जा सकता है पर व्यक्त करना संभव नहीं है। भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है प्रेम वह स्थिति है जहां क्रूर से क्रूर आदमी भी कम से कम उस व्यक्ति के प्रति तो सहृदय हो ही जाता है जिससे वह प्रेम करता है।
भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है bharat hamesha hi prem ka mulk raha hai

कहने का तात्पर्य यह है कि प्रेम तानाशाह को भी प्रेम का शहंशाह बना देता है। इससे अलग हम देखें तो प्रेम सबके लिए भी महत्वपूर्ण है । अच्छा बुरा ऊंच नीच आदमी जैसा भी हो पर प्रेम का तोल सबके हृदय की तराजू पर समान ही रहता है। भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है अपने देश भारत में तो प्रेम में स्मारक भी बना दिए गए हैं।
शाहजहां और मुमताज के प्रेम की उपज ताजमहल आज भी सैकड़ों साल बाद आगरा में प्रेम विखेर रहा है । प्रेम के इस प्रतीक को जाने कहां कहां से हजारों लोग देखने के लिए खींचे चले आते हैं ।
भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है bharat hamesha hi prem ka mulk raha hai
सफेद संगमरमर से बनी ताजमहल की इमारत देखने वालों से आंखों से बात करता है। ताजमहल प्रेम के बारे में क्या क्या कहता है यह बात उसे देखने वालों की आंखों को जैसे पता है। उस तरह ना देखने वालों को कहा पता । ऐसे ही नहीं ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शामिल है। भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है
भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है bharat hamesha hi prem ka mulk raha hai
अंत में मैं यही कहूंगा कि प्रेम का सम्मान सदा बना रहे । उन प्रेमियों की जज्बातों को समझा जाता रहे जो एक दूसरे के लिए जीना चाहते हैं। प्रेम हमेशा सार्थक रहा है और सार्थक रहेगा । अंत में कबीर जी की वाणी में विराम देता हूं। ” पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ” कबीर के दोहे से प्रेम से उत्पन्न पांडित्य और संवेदना को समझा जा सकता है। भारत हमेशा ही प्रेम का मुल्क रहा है