Azadi ke baad se Bhartiya Rajniti Ka Safar Adbhut raha hai
Azadi ke baad se Bhartiya Rajniti Ka Safar Adbhut raha hai
अगर बात राजनीति का किया जाए तो दुनिया में राजनीति जितने भिन्न-भिन्न रूपों में पाई जाती है वह सारी अकेले भारत में ही मिल जाएगी ( Azadi ke baad se Bhartiya Rajniti Ka Safar ) । हो भी क्यों ना भला महाभारत जैसे राजनीतिक घटना जिसने पूरे भारत का स्वरूप ही बदल दिया वह अमानत भारत का ही है और तो और कौटिल्य जैसा विद्वान इसी भारत में जन्म लिया था । कौटिल्य ने जीवित रहते एक उच्च राजनीतिक का किरदार तो निभाया ही पर वसीयत में मरते-मरते चाणक्य नीति नामक ऐसी किताब भारतीयों के लिए छोड़ गए जिसे पढ़कर आज भी हमारे देशवासी खासकर राजनेता और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग समय-समय पर मार्गदर्शन प्राप्त करते रहते हैं ।
कहने का तात्पर्य है कि अनादि काल से ही भारतीयों के रगों में राजनीतिक लहू बहती आई है । परंतु अपवाद उस 1000 साल को मान सकते हैं जिस अवधि में मुगलों और अंग्रेजों ने हम पर राज किया और गुलाम बनाए रखा। फिर भी उन मुगलों और अंग्रेजों को दोष उतना नहीं जाता है जितना भारतीयों के ऊपर इसके लिए दोष माना जाए। ( Azadi ke baad se Bhartiya Rajniti Ka Safar ) वास्तविकता तो यही है कि भारतीयों ने गुलामी के हजार सालों में कभी अपने राजनीतिक बुद्धिमत्ता और शक्ति सामर्थ्य का उपयोग ही नहीं किया। अब यदि आप अपने पुरखो द्वारा दिखाए गए मार्ग पर ना चले तो इसमें पुरखों का क्या कसूर ?
Azadi ke baad se Bhartiya Rajniti Ka Safar
खैर जैसे-तैसे हम सब आजादी मिल ही गयी 1948 में। पर यह आजादी हमें फोकट की नहीं मिली है। हमारी यह आजादी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान स्वरूप उनके खून की कीमत पर मिली है । खैर ठोकर खा खा कर हमने पैर इतना जख्मी कर लिए थे के आजादी के बाद महापुरुषों के दिखाए रास्ते तो याद आने ही लगे। जिस तरह से भारतीयों के खून में भारतीयता घुली वह वाकई अद्भुत अभूतपूर्व थी ।
इस बीच में हमने पाकिस्तान से कितने जंग लड़े है और कितने जीते भी । हालांकि चीन से 1962 में लड़ना पड़ा जिसमें हार मिली फिर भी कोई बात नहीं । ( Azadi ke baad se Bhartiya Rajniti ) जो मुल्क हजार साल के गुलामी से निकलते ही एक बड़े मुल्क से युद्ध लड़ा और हार गया तो क्या हुआ ? मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि हम युद्ध हार गए । मेरे लिए तो बस यह मायने रखता है कि हम युद्ध हारने के बाद बहुत कुछ सीखें । इतना सीखा कि लगातार मुश्किलों से जूझते हुए विकास की ओर अग्रसर रहे। हारने के 3 साल बाद 1965 में जंग जीता और 1971 में दो बांग्लादेश ही निर्माण कर दिया । यह सारी जितनी भी कामयाबियां रही है सभी भारत के राजनीतिक फैसलों से ही संभव हो सकी है ।
आज जब भारत को विश्व पटल पर देखता हूं तो दुनिया की चौथी बड़ी ताकत नजर आती है । वास्तव में यह गर्व का विषय है । परंतु हमें अभी और भी आगे जाना है । खैर इस बीच भारतीय राजनीति ने भी अपने हुनर को साबित किया है। भारतीय कूटनीति ने तो कमाल ही कर दिया है । भारतीय नेताओं ने यह साबित किया है कि भारतीय राजनीति और भारतीय डिप्लोमेसी दुनिया में आज भी अहम स्थान रखती है।
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राजनीति का क्षेत्र भी अजीबोगरीब है । नेता अच्छा करे तो भी गाली सुने नेता बुरा करे तो भी गाली सुने।
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क्या होता है परिवार आइए जानते हैं इसके बारे में
किसानों द्वारा आत्महत्या करना देश के लिए एक गंभीर विषय है
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