ऐसे लोगों को जन्म और मृत्यु से मिल जाती है मुक्ति

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Such people get freedom from birth and death
ऐसे लोगों को जन्म और मृत्यु से मिल जाती है मुक्ति :- इस संसार का सबसे बड़ा सत्य हैं जीवन और मृत्यु । जिससे आज तक ना कोई बचा है और ना कोई बचेगा। देवता से लेकर मनुुुष्य तक कोई भी इस धरती पर आया है उसे हर हाल में मां के गर्भ में रहना पड़ा है । जब तक कोई अपनी माता के गर्भ में रहता है तब तक उसे बहुत सारे कष्ट भोगने पड़ते हैं । माता के गर्भ में रहते वक्त जीवात्मा को उसके पूर्व जन्म के सारे कर्म तथा उसके मिलने वाले सारे परिणाम याद रहते हैं । ऐसे में जीवात्मा ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसको मोह माया के बंधन से मुक्ति मिल जाए तथा फिर कभी माता के गर्भ में ना आना पड़े । लेकिन जब जीवात्मा माता के गर्भ से बालक के रूप में बाहर आ जाता है तब मोह माया का बंधन उसे घेर लेता है और वह सांसारिक बंधनों में उलझना चला जाता है। इसी को लेकर हमारे धर्म में बताया गया है कि आदमी को जीवन भर मुक्ति का मार्ग तलाशना चाहिए । तो हम आपको यहां पर कुछ ऐसे काम बताने जा रहे हैं जिसे करने से व्यक्ति को जन्म मरण से मुक्ति मिल जाती है । तो चलिए जान लेते हैं ।
( 1 ) हमारे शास्त्रों में तुलसी के बारे में वर्णन मिलता है। इसे मुक्तिदायिनी भी कहा गया है । पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि यदि मृत्यु काल के समय मुख में तुलसी का पत्ता रख दिया जाए तो यमदूत व्यक्ति की आत्मा को छू भी नहीं पाते हैं । ऐसे व्यक्ति की आत्मा को सीधे स्वर्ग में स्थान मिल जाता है । और ऐसा भी वर्णन मिलता है कि जो भी मनुष्य सदा तुलसी पूजन करता है और तुलसी जी के मंजरीयों को तोड़कर भगवान शिव तथा विष्णु जी को अर्पित करता है उसे स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान प्राप्त होता है । ऐसे व्यक्ति को जन्म मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है और गर्भ में नहीं रहना पड़ता है।
 ( 1 ) हमारे पुराणों में बताया गया है कि बड़ा भाग्य से ही कैलाश मानसरोवर का दर्शन हो पाता है । यहां पर साक्षात शिव जी तथा भगवान विष्णु जी का वास है। यह स्थान भगवान शिव का परम धाम है । जो भी मनुष्य मानसरोवर के जल से पवित्र होकर पान करता है और कैलाश के दर्शन करता है वह पुनः कभी गर्भ में लौटकर नहीं आता है क्योंकि ऐसे लोगों को मुक्ति मिल जाती है ।
( 3 ) काशी के बारे में शिव पुराण में वर्णन मिलता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ नगर है तथा यहां के कोतवाल काल भैरव जी हैं । यह भी बताया गया है कि यहां पर यमराज का प्रवेश वर्जित है अतः यहां पर जो भी मनुष्य भगवान शंकर को ध्यान करते हुए अपने प्राण त्याग देता है उसे यमलोक नहीं जाना पड़ता । यहां व्यक्ति के कर्मों का दंड स्वयं काल भैरव देते हैं और आत्मा को मोक्ष प्रदान करते हैं ।
( 4 ) श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और ग्यारहवे अध्याय में भगवान विष्णु का विश्वरूप दर्शन मिलता है । यदि नियमित गीता के इस अध्याय का अध्ययन किया जाए तो इससे भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन के बराबर पुण्य प्राप्त होता है । ऐसे में जो मनुष्य नियमित गीता का पाठ करता है वह परम गति को प्राप्त कर लेता है । ऐसे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और वह जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।