
बालासाहेब की शिवसेना से बिल्कुल अलग है उद्धव ठाकरे की
शिवसेना :- शिवसेना की स्थापना से लेकर अब तक इसके दो रूप देखने को मिले हैं। एक तो थी बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना जो कट्टर हिंदुत्ववादी थी। लेकिन उद्धव ठाकरे के शिवसेना का कमान संभालने के बाद कुछ अलग ही रूप देखने को मिल रहा है । हालांकि जब तक शिवसेना बीजेपी के साथ थी तब तक तो इसकी छवि कट्टर हिंदूवादी की ही थी चाहे बालासाहेब शिवसेना के प्रमुख हो या उद्धव ठाकरे हो।
लेकिन जब से शिवसेना ने बीजेपी का दामन छोड़ा है और कांग्रेस तथा एनसीपी का हाथ थामा है तब से इस पार्टी की विचारधारा ने बहुत ही अधिक परिवर्तन आया है । जानकार मानते हैं कि शिवसेना अब हिंदूवादी पार्टी नहीं रही बल्कि वह तथाकथित सेकुलर वादी पार्टी बन गई है।
खैर जो भी हो लेकिन यदि आज बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो ऐसा कभी नहीं करते । उन्होंने अपने जीवन में सत्ता का लालच कभी नहीं किया और अपने विचारधारा को ही हमेशा ही सर्वोपरि रखा। अन्यथा वह भी उद्धव ठाकरे की तरह जोड़-तोड़ करके मुख्यमंत्री बन जाते । महाराष्ट्र में जनता के बीच कि उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह कभी भी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
लेकिन उद्धव ठाकरे ने सारे विचारधारा को ताक पर रखकर खुद को मुख्यमंत्री बनाना ही उचित समझा। इसमें कोई बुराई नहीं है मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपने पार्टी की विचारधारा को कायम रखते तो ठीक रहता। लेकिन उन्होंने तो पार्टी की विचारधारा ही बदल दी।
फिलहाल बालासाहेब और उद्धव दोनों के शिवसेना में बड़ा अंतर है । बालासाहेब पार्टी को हिंदुत्व के रास्ते पर आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन उद्धव अपने पार्टी को तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर आगे बढ़ा रहे हैं।